
दाँत निकालने का फल
बालक के जन्मते ही दाँत निकले हुए हों तो माता-पिता को अरिष्ट, ऊपर पंक्ति में दाँत जमे तो अधिक अरिष्ट। प्रथम ऊपर की पंक्ति में दाँत निकले तो मातुल पक्ष को भय हो। पहले मास में दाँत निकले तो शरीर नष्ट, दूसरे में छोटा भ्राता नष्ट, तीसरे में बहन नष्ट, चौथे में भाई नष्ट, पाँचवें में ज्येष्ठ बन्धु नष्ट, छठे में भोग, सातवें में पिता-सुख, आठवें में पुष्टता, नौवें में धनी, दसवें में सुखी, ग्यारहवें में धनी।
एक नक्षत्र जात फल-पिता-पुत्र, माता-पुत्र व कन्या, दो भ्राता इनका एक नक्षत्र में जन्म हो तो दोनों में से एक को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। सोना दान, शान्ति हवन आदि करने से अरिष्ट निवारण होता है।