
गुरु-शुक्र के अस्त में वर्जित कर्म
बावड़ी, बगीचा, कुआँ, मकान का प्रारम्भ और प्रतिमा, व्रतारम्भ, व्रतोद्यापन, दान, गोदान, प्रथम उपाकर्म, वृषोत्सर्ग, चौल (मुण्डन), देवता स्थापन, दीक्षा, यज्ञोपवीत, विवाह, अपूर्व देवतीर्थ-दर्शन, संन्यास, अग्न्याधान, अभिषेक, समावर्तन, चातुर्मास्य, यज्ञ, कर्णवेध, विद्यारम्भ ये कर्म गुरु, शुक्र के अस्त, बाल, वृद्धत्व तथा मलमास में करना निषिद्ध है।