
वास्तु की आवश्यकता
प्रकृति के पंचतत्व और शरीर के पंचतत्वों के बीच सामंजस्य रखने के लिए हमें वास्तु की आवश्यकता होती है| जिस प्रकार हम शरीर के सभी अंगो का उपयोग ठीक प्रकार से इसलिए कर पाते है क्यूंकि उनका स्थान नियत है| अगर इसमें किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन होता है तो यही अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं| हमें ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया शरीर सभी प्रकार से हमारी जीवनशैली के लिए पर्याप्त है|
वास्तु में दिशाओ का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है क्यूंकि हर दिशा एक तत्त्व को पूर्ण करती है| जैसे पूर्व दिशा से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है जिसमे सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा द्वारा शरीर में विटामिन- डी का निर्माण होना, पेड़-पौधों को भोजन के लिए ऊर्जा प्राप्त होना, सोलर- पैनल द्वारा बैटरी चार्ज होना आदि शामिल है| अगर घर की पूर्व दिशा से आने वाली सूर्य की रौशनी-ऊर्जा में किसी प्रकार की रुकावट होती है तो इसका असर घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ेगा, और उनमे ऊर्जा से होने वाले परिवर्तन आएंगे| जैसे:- त्वचा का कमजोर होना, अधिक आलस्य आना, शरीर का मोटा होना, शारीरिक ऊर्जा में कमी, हड्डी का दर्द आदि|
घर में किचनऔर बिजली की सप्लाई के यन्त्र और पूजा घर आदि सब जिनसे हमें ऊर्जा मिलती है पूर्व दिशामें ही होने चाहिए अगर इस जगह आप वाशरूम या पानी अथवा पानी की टंकी बनाते हैं या पहले से बनी हुयी है तो घर में आग और पानी दोनों का बैलेंस ख़राब होगा, जैसे आग और पानी मिलने से स्टीम- भाप बनती है उसी प्रकार घर में रहने वाले लोगो को भी फेफड़ो- लंग्स,पेट गैस , लिवर और ब्लड प्रेशर की दिक्कत होगी |
इसी प्रकार पंचतत्व का बैलेंस ख़राब होने से अलग तरह की दिक्कत पैदा होंगी. जैसे आग-पानी-हवा-प्रथवी-आकाश का स्थान परिवर्तन या बैलेंस ख़राब होने से शरीर में उत्पन्न होती है| आप घरमें बिना तोड़ फोड़ किये इस सब से निजात पा सकते हैं, जिसके लिए कुछ उपाय आप घर में कर सकते हैं| जैसे घर में पेड़-पौधों द्वारा प्रथवी- तत्व और घर के पेंट या पर्दो के रंग बदल कर अग्नि तत्त्व |
वास्तु का असर हमारे स्वास्थ्य से लेकर धन-आय, आपस में मेलजोल, पत्नी-पत्नी के बीच सम्बन्ध, संतान उत्पत्ति में बाधा, व्यापार का न चलना, दुर्घटनाये, क्षमता के अनुसार आय न होना आदि शामिल है. अगर आप इनमे से किसी प्रकार की समस्या से पीड़ित है तो आपकोअपनी कुंडली के साथ साथ घर का वास्तु कराना चाहिए|