top of page

गण्डमूल नक्षत्र और उनके फल

 

अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती से ये 6 नक्षत्र गण्डमूल कहलाते हैं। इन नक्षत्रों में जन्मा हुआ बालक माता-पिता, कुल और अपने शरीर को नष्ट करता है। स्वयं का शरीर नष्ट न हो तो धन, वैभव, ऐश्वर्य तथा घोड़ों का स्वामी होता है। गण्डमूल में जन्में हुए बालक का मुख 27 दिन तक पिता न देखे। प्रसूतिस्नान के पश्चात् शुभ बेला में बालक का मुख देखना चाहिए। उपरोक्त गण्डमूल के चारों चरणों में से जिस चरण में बच्चा पैदा हो, उसका विशेष फल निम्न चक्र से मालूम कर लें।

 

 

अभुक्त मूल - ज्येष्ठा नक्षत्र की अन्तिम पाँच घटी, किसी के मत से चार घटी, किसी के मत से एक घटी और किसी के मत से आधी घटी एवं मूल नक्षत्र के आदि की आठ घटी, किसी के मत से चार घटी, दो घटी, आधी घटी का समय अभूक्त मूल कहलाता है। | इस समय में जो बच्चा जन्म ले, उसका परित्याग करदे या आठ वर्ष तक बच्चे का पिता उसका मुख न देखे। शान्ति करके मुख देखने में शास्त्रीय बाधा नहीं है।

      

मूल नक्षत्र में गर्भाधान करना उचित नहीं है तथा उक्त नक्षत्रों में रजस्वला स्त्री को स्नान करना वर्जित है।

gandmool nksh.jpg
bottom of page